अवैध कालोनियां बनने का इंतजार करता है जीडीए

लगभग सभी हाइवे पर प्रापर्टी डीलरों द्वारा अवैध कॉलोनियां विकसित की जा रही हैं। इन पर जीडीए के अफसरों से लेकर एनएचएआई के जिम्मेदारों की नजर है। इसके बाद भी प्रापर्टी डीलर किसानों से एग्रीमेंट कर मनमानी कीमतों पर प्लाटिंग कर रहे हैं। जीडीए ने खुद 72 अवैध कालोनियां चिन्हित कर रखी हैं, लेकिन जिम्मेदार धड़ल्ले से जमीन की खरीद फरोख्त करने वालों पर लगाम लगाने में नाकाम हैं।



जीडीए के जिम्मेदार हाथ पर हाथ रख कर अवैध कालोनियों के विकसित होने का इंतजार करते दिखते हैं।जीडीए ने वर्ष 2016 से पहले विकसित हुईं 25 कालोनियों को चिन्हित कर रखा है। वहीं नगर विधायक डॉ.राधा मोहन दास अग्रवाल द्वारा सवाल उठाने के बाद जीडीए ने पिछले दिनों 47 कालोनियों को चिन्हित किया था। जिनमें से सिर्फ एक प्रापर्टी डीलर के खिलाफ जीडीए के जिम्मेदार मुकदमा दर्ज करा सके हैं। शेष 46 कालोनियों को विकसित करने वाले जीडीए की पकड़ में नहीं आ रहे हैं। जबकि सभी जानते हैं कि हाई फाई कालोनियों को विकसित करने वालों में कई चर्चित बिल्डर और सफेदपोश शामिल हैं।


इन कालोनियों में 5000 हजार से अधिक मकान या प्लॉट वजूद में हैं। प्राइवेट बिल्डरों की मनमानी और जीडीए के अफसरों की अनदेखी के चलते 5000 से अधिक लोगों की जिंदगी भर की पूंजी फंसी हुई है। आपके अपने अखबार 'हिन्दुस्तान के पास रोज दर्जनों फोन आ रहे हैं, जिसमें लोग कहीं भी सुनवाई नहीं होने की बात कर रहे हैं। जीडीए ने अवैध कालोनियां तो चिन्हित कर दीं लेकिन लोगों की सहूलियत और कालोनी को विकसित करने वालों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर ठोस कदम नहीं उठाया है। प्रदेश सरकार की तरफ से समय-समय पर अवैध कालोनियों को रेगुलर करने को लेकर फरमान जारी होता है, पर हकीकत की धरातल पर कुछ नहीं होता है। कॉलोनियों को रेगुलर करने की कागजी कवायदजीडीए के दस्तावेजों में वर्तमान में 72 अवैध कालोनियां वजूद में हैं।











दरअसल, प्राधिकरण की महायोजना के मुताबिक शहरी क्षेत्र में आवासीय जमीन का प्रतिशत काफी कम है। करीब 35 फीसदी एरिया विनियमित क्षेत्र में है, जहां आवासीय योजना विकसित नहीं हो सकती है। जीडीए भी प्लॉट या फ्लैट उपलब्ध कराने में नाकाम है। मानबेला में जीडीए की योजना लंबे समय से फंसी हुई है। राप्तीनगर विस्तार योजना के 300 के आवंटियों को कोर्ट में शरण लेने के बाद भी कोई राहत नहीं मिली है। ये आवंटी पिछले एक दशक से अपनी ही जमीन के लिए दौड़ रहे हैं। मानबेला में मुआवजा का पेच दूर नहीं होने से जीडीए नई योजना लांच करने की स्थिति में नहीं है। वहीं खोराबार में प्राधिकरण की अधिग्रहित जमीन का पेच दूर नहीं हो रहा है। जीडीए ने अधिग्रहित जमीन पर खरीद-फरोख्त करने वालों को नोटिस दिया है। जिसको लेकर जीडीए में वाद लंबित है।


प्राधिकरण द्वारा मकान या प्लॉट नहीं उपलब्ध कराये जाने से लोग प्राइवेट बिल्डरों और प्रापर्टी डीलरों के जाल में फंसने को विवश हैं। पिपराइच रोड पर विकसित कॉलोनी के लोगों को नोटिसपिपराइच रोड पर विकसित एक अवैध कालोनी में मकान बनाने वाले दो दर्जन से अधिक लोगों को जीडीए की नोटिस मिली हुई है। जीडीए ने लाखों रुपये खर्च कर मकान बनाने वालों को ध्वस्तीकरण का नोटिस थमा दिया है। दो राहे पर खड़े लोगों को समझ में नहीं आ रहा है कि वह क्या करें। उधर, जीडीए ने कालोनी विकसित करने वाले प्रापर्टी डीलर के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया है। जिस पर आरोप है कि उसने कूड़ा निस्तारण और पार्क की जमीन पर कालोनी विकसित कर दी है। 













 


 




जबकि इसके अतिरिक्त कई ऐसी अवैध कालोनियां भी हैं जिनपर जीडीए के जिम्मेदारों की नजर ही नहीं है।